19 March, 2013

अवैध सम्बन्धों की तासीर

रायपुर जिले का वासनाजन्य सेक्स हत्याकथा

प्रतीक चित्र
रायपुर का खमतरई थाना जिला मुख्यालय से लगभग 11 किमी दूर है। इस थाना क्षेत्र का उरकूरा मोहल्ला कुछ ग्रामीण परिवेश लिये चहल-पहल वाला इलाका है। इसी इलाके में 33 वर्षीया संगीता वर्मा उर्फ शैलेन्द्री उर्फ रानी वर्मा अपने 35 वर्षीय पति रमेश वर्मा के साथ रहती है। रमेश वर्मा रानी का दूसरा पति है, रमेश से पहले रानी की शादी ओम प्रकाश नाम के युवक से हुई थी जिससे रानी के दो बच्चे भी हुए जिनमें एक लड़का और एक लड़की है। बड़ी लड़की प्रिया की उम्र 15 वर्ष है और बेटा कमल उससे तीन साल छोटा , लेकिन कमल की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। शादी के कुछ साल बाद तक पति-पत्नी के बीच सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन बाद में रानी और ओम प्रकाश के बीच खटपट शुरू हो गई। आये दिन दोनांे पति-पत्नी में किसी किसी बात को लेकर झगड़े होने लगे, झगड़े का प्रमुख कारण रानी का चाल-चलन था। दरअसल रानी का स्वभाव कुछ ज्यादा ही चंचल था वह मुहल्ले के किसी भी अपरिचित से हॅसने-बोलने में कोई संकोच नहीं करती। दो बच्चों की मां बन जाने के बाद भी रानी का संजना संवरना जरा भी कम नहीं हुआ था, घर-गृहस्थी के कामों में मन लगाने के बजाय उसका ज्यादा समय बाजार-हाट घूमने और सिनेमा देखने में बीतता। कुल मिलाकर पत्नी रानी की हरकतों से पति ओम प्रकाश परेशान रहता, रानी को जितना समझाने का प्रयास करता वह उतनी ही उच्चश्रृंखल (बेअदब) होती जा रही थी। आखिर जब ओम प्रकाश को रानी के साथ सारा जीवन गुजारना भार लगने लगा तब ओम प्रकाश ने जाति समाज के कुछ बड़े-बुजुर्गो को बीच में करके पत्नी रानी से हमेशा-हमेशा के लिए सम्बन्ध तोड़ लिया था यह लगभग 3- 4 साल पहले की बात है। 
पति ओम प्रकाश से अलग होने के बाद लगभग डेढ़साल तक रानी अपने मां-बाप के साथ रही। इसी बीच पूर्व पति ओम प्रकाश ने अपनी दूसरी शादी कर ली, रानी की बड़ी बेटी प्रिया अपने पिता के साथ ही रह रही है। लगभग डेढ़ साल बाद ही रानी वर्मा ने भी रमेश वर्मा नाम के एक 35 वर्षीय युवक से शादी कर ली। रमेश वर्मा एक मध्यम वर्गीय परिवार का बेटा था और बिरगांव स्थित आलोक इण्डस्ट्रीज में आपरेटर के पद पर कार्यरत है रमेश की उम्र 33 साल हो जाने के बाद भी उसकी शादी नहीं हुई थी क्योंकि उसे पीने की लत थी। रानी पहले से शादीशुदा और दो बच्चों की मां थी लेकिन पति से निभ पाने के कारण उसे छोड़ चुकी थी ऐसे में उसके लिए कंुवारा वर मिलना मुश्किल था। रानी के पिता ने बेटी रानी की शादी रमेश से यह सोचकर कर दी कि पत्नी की जिम्मेदारी कंधों पर जाने से रमेश की खाने-पीने वाली लत समय के साथ बदल जायेगी, रानी विदा होकर अपनी ससुराल गयी
रानी और रमेश का दाम्पत्य जीवन मुश्किल से 8-10 महीने ही ठीक-ठाक बीते होंगे उसके बाद रानी और रमेश के बीच भी अक्सर वाद-विवाद होने लगा, दरअसल रमेश की खाने-पीने वाली आदत और पत्नी रानी के चाल-चलन से उसका पूरा परिवार पहले से ही परेशान था। झगड़ा बढ़ने पर रमेश के पिता ने रमेश और रानी को अपने घर से निकाल दिया। पिता द्वारा घर से बाहर किये जाने पर रमेश पत्नी रानी को लेकर उरकूरा मोहल्ले में किराये का एक कमरा लेकर रहने लगा जबकि उसके माता-पिता दूसरे मुहल्ले में रहते थे। नये घर में जाने से रानी को लगा था अब उसका पति अपनी जिम्मेदारियों को समझेगा और शराब पीना छोड़ देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ रमेश का जब मन करता पीने बैठ जाता। पत्नी रानी टोकती तो वह उसकी लानत-मलानत कर देता। एक बार रानी रमेश की शराब की बोतल हटाकर छिपा दी तब क्रोध में उबलता रमेश रानी की इस कदर पिटाई कर दी कि तीन दिनों तक उसका बदन दर्द से कराहता रहा।
उरकूरा मोहल्ले में रमेश वर्मा के घर से लगभग 300 मीटर के फासले पर एक खोली (किराये का कमरा) लेकर 22 वर्षीय नरेन्द वर्मा नाम का एक युवक भी रह रहा था। नरेन्द्र दूर के रिश्ते में रमेश का भांजा लगता था, जब नरेन्द्र को यह पता चला कि रमेश और रानी भी उसी के मोहल्ले में रह रहे है तब नरेन्द्र अक्सर उनके घर आने-जाने लगा। इसी आने-जाने में रमेश की पत्नी रानी कब नरेन्द्र के नजदीक गई पता ही नहीं चला। रानी का नरेन्द्र के प्रति और नरेन्द्र का रानी के प्रति आकर्षण और खिंचाव की वजह बना रमेश का आयेदिन अपनी पत्नी रानी को प्रताडि़त करना। रमेश शराब के नशे में जरा सी भी कहासुनी होने पर अक्सर अपनी पत्नी रानी की पिटाई कर देता, पिटाई करने के बाद जब रमेश घर से बाहर निकल जाता और संयोग से उसी के आस-पास कभी नरेन्द्र मामा के घर पहुॅच जाता तब वहाॅ मामी को रोते कलपते देख सहानुभूति दिखाने के बहाने मामी को धैर्य बंधाता और जब रानी अपने बदन पर पड़े मारपीट के निशान दिखाती तब नरेन्द्र उस जगह को बड़े प्यार सहलाता इसी अपनत्व के बीच दोनों में जाने कब प्यार हो गया और यही प्यार आगे चलकर अवैध शारीरिक सम्बन्ध में बदल गया।
रानी वर्मा
कहते है अवैध सम्बन्धों में वह तासीर और नशा होता है जिसे एक बार इसका स्वाद मिल जाय या जो इसमें डूब जाता है वह डूबता ही चला जाता है। यही हाल नरेन्द्र और रानी के बीच बने अवैध सम्बन्ध का भी हुआ। रमेश के फैक्ट्री चले जाने के बाद रानी और नरेन्द्र को जब भी मौका मिलता दो जिस्म एक जान होते देर नहीं लगता। रानी नरेन्द्र से उम्र में 11 साल बड़ी खेली खाई युवती थी, अपने अनुभवों से 22 वर्षीय नरेन्द्र को काम कला के ऐसे-ऐसे आसनों से परिचित कराया जिसे देखकर नरेन्द्र पूरी तरह से रानी के वश में हो गया। एक दिन जब रानी और नरेन्द्र रमेश की अनुपस्थिति में वासना के समन्दर में गोते लगा रहे थे तभी अचानक शराब के नशे में चूर रमेश अप्रत्याशित ढंग से घर पहुॅच गया, उस समय दरवाजा अन्दर से बन्द था। रमेश पत्नी रानी को आवाज देकर दरवाजा खोलने को कहा लेकिन कमरे के अन्दर काम-क्रीड़ा में संलग्न रानी को दरवाजा खोलने में देर हो गई, दरवाजा खुला तो कमरे में रानी के संग नरेन्द्र को देख चैंक उठा। रमेश के चांैकने का कारण दरवाजे का देर से खुलना और अन्दर पहुॅचने पर दोनों को असहज और घबराये हुए पाया, कमरे में बिछे बिस्तर की चादर की सिलवटें इस बात की गवाही दे रहे थे कि जैसे बिस्तर पर किसी ने कुश्ती खेली हो. रमेश भी मंजा हुआ खिलाड़ी था उसे माजरा समझते देर नहीं लगा एक पल भी समय गवायें तुरन्त अपने भांजे नरेन्द्र को घर से बाहर चले जाने का हुक्म सुना दिया और हिदायत दी कि फिर कभी आगे से इस घर में प्रवेश करें. शराब के नशे में रमेश का गुस्से से तमतमाया चेहरा देखते ही नरेन्द्र बिना कुछ बोले चुपचाप वहाॅ से खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझी और वहाॅ से भाग खड़ा हुआ।
नरेन्द्र के घर से बाहर निकलते ही रमेश अन्दर से दरवाजे की कुण्डी चढ़ाकर रानी को पकड़कर सीधे उसी बिस्तर पर लिटा दिया और रानी की साड़ी-पेटीकोट को कमर से ऊपर ले जाकर उसे अर्द्ध नग्न कर दिया। रानी कुछ समझ पाती या बोलती इससे पहले रमेश रानी के दोनों जांघों के संधिस्थल पर अपने हाथ पहुॅचा दिये, फिर हाथ से रानी की जांघों और सन्धिस्थल पर ऐसे हाथ फिराने लगा जैसे कोई अंधेरे में गिरी किसी वस्तु को टटोल कर खोजता है। रमेश जो कुछ देखना और समझना चाह रहा था वह समझ चुका था। रानी का जिस्म इस बात की साफ गवाही दे रहा था कि उसने चन्द मिनट पहले ही किसी से जिस्मानी रिश्ता कायम किया है। रानी के पास अपनी सफाई में कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे। रमेश ने आव न देखा ताव शराब के नशे में रानी को बेतहाशा पीटते हुए बड़बड़ाने लगा, ‘‘बेशर्म, बेहया, कुलटा भांजे के साथ सोते हुए शर्म नहीं आयी.... अरे कुछ तो सम्बन्धों का ख्याल किया होता सगा न सही लेकिन मामी तो बोलता ही था और उस नीच कमीने नरेन्द्र को क्या कहे उसे अपने मामा का ही घर मिला था आग लगाने के लिए.....’’ उस दिन रमेश ने पत्नी रानी पर जमकर अपना गुस्सा उतारा जबकि रानी बार-बार अपने किये की माफी मांग रही थी, पति को विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि अब कभी वह ऐसी गलती नहीं दोहरायेगी। फिर भी थकने के बाद ही रमेश ने रानी को छोड़ा और नशे में चूर उसी बिस्तर पर लुढ़क गया, थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गयी, लेकिन रानी वहीं जमीन पर बिस्तर के पायताने बैठी घंटो सिसकती रही। शाम को बुझे मन से पेट पूजा के लिए तहरी बनाई और खाकर सो गई। रमेश को एक-दो बार हिलाया-डुलाया भी पर नशा तेज होने से उसने आंखे नहीं खोली। यह लगभग 3 महीने पहले की बात है।
अगले दिन रमेश देर से उठा तो शराब का नशा उतर चुका था लेकिन नशे की खुमारी अभी भी बनी हुई थी। रानी को नाश्ता बनानेे के लिए सहेज कर रमेश नित्य क्रियाकर्म में लग गया, स्नानादि करने के बाद रानी बिना बोले रमेश के सामने नाश्ता लाकर रख दिया। नाश्ता करते हुए रमेश रानी को समझाते हुए कहा, ‘‘देखों जो कुछ हुआ उसे भूल जाता हूॅ परन्तु आगे से फिर कभी ऐसी गलती हुई और मैंने कुछ सुना या देखा तो याद रखना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। इस बार तो मैंने मार-पीटकर छोड़ दिया लेकिन अब कुछ सामने आया तो मारूंगा नहीं बल्कि सीधे ऊपर भेज दूॅगा, तू अभी मुझे जानती नहीं....’’ पति रमेश की बात सुनकर रानी नजरें नीचे किये गर्दन झुकाकर बोली, ‘‘आपको विश्वास दिलाती हूॅ अब कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करूॅगी जिससे आपको शिकायत का मौका मिले, कुछ सुनना तब कहना।’’
रानी उस समय अपने पति के समक्ष घडि़याली आॅसू बहाकर उसे विश्वास तो दिला दिया, रमेश भी नाश्ता कर अपनी टिफिन लेकर काम पर चला गया। घर पर अकेली रानी पूरे दिन अपने बदन पर पड़े नील पर हल्दी मिला गरम सरसांे के तेल की मालिश करती रही। जहां जरूरी समझा वहां दर्द निवारक बाम और मलहम भी लगाया लेकिन दर्द बना रहा। शाम को पति रमेश घर आया तब रानी उसके मन पसंद का भोजन परोस दिया, रमेश शराब का अपना कोटा साथ लाया था और खा पीकर सो गया, उस दिन रानी ने रमेश से कोई बात नहीं की. बाद में धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया और दो महीने का वक्त भी बीत गया लेकिन रानी के अन्दर की काम वासना उसे नरेन्द्र से मिलने के लिए बेचैन करने लगी, उधर नरेन्द्र भी रानी का संसर्ग पाने के लिए बेचैन था। संयोग से रमेश जब काम पर गया था तब बाजार में रानी और नरेन्द्र की मुलाकात हो गयी दोनों में काफी बातें हुई और फिर एक नई कहानी की शुरूआत हो गई थी। अब जब रमेश अपने काम पर चला जाता तब रानी मौका देखकर चुपके से नरेन्द्र के खोली में चली जाती और दोनों अपनी-अपनी शारीरिक भूख को शान्त कर लेते।
रमेश वर्मा
लेकिन यह भी ज्यादे दिन नहीं चल सका और एक महीने बाद फिर से रानी के चेहरे पर पड़ा नकाब उतर गया। दरअसल रमेश के काम पर जाने के बाद रानी मौका देखकर नरेन्द्र के घर चली गयी और वहां मौज-मस्ती करने के बाद जब रानी नरेन्द्र के घर का दरवाजा खोलकर जैसे ही बाहर अपने घर जाने के लिए निकली वैसे ही सड़क पर अपनी घर की तरफ जा रहे रमेश की नजर रानी पर पड़ गयी। रानी को नरेन्द्र के घर से निकलते देख रमेश को सारा माजरा समझ में आ गया। उस दिन रमेश फैक्ट्री से जल्दी ही घर आ गया था। लेकिन घर पहुॅचने से पहले रास्ते में ही उसने जो कुछ देखा उससे उसके तन-बदन में आग लग गई। सड़क पर तो कोई तमाशा नहीं किया लेकिन घर पहुॅचते ही एकदम कसाई बन गया उस दिन रानी की ऐसी पिटाई की कि उसकी रूह कांप गयी। रानी एक बार फिर से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगने लगी, जैसे-तैसे उस दिन मामला शान्त हुआ और रमेश दो दिन तक फैक्ट्री ही नहीं गया। रानी भी अपने व्यवहार से रमेश को मनाने का पूरा प्रयास किया जिसके चलते रमेश तीसरे दिन से काम पर जाने लगा लगभग चार-पांच दिन ही काम पर गया होगा उसके बाद रमेश न तो काम पर गया और न ही वह किसी को दिखाई ही दिया।
दरअसल रमेश ने जब फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया तब एक दिन बड़ी सावधानी से रानी नरेन्द्र से मुलाकात कर उसे अपनी पूरी प्लानिंग समझा दी। प्लान के अनुसार 31 अगस्त 2012 शुक्रवार को जब रमेश फैक्ट्री से अपना काम निपटाकर घर वापस आया और शराब लेकर पीने बैठ गया तब रानी शराब के साथ चखने के रूप मंे उसके सामने गरमा-गरम पकौड़े रख दिये। उस दिन रानी रमेश पर अपना इतना प्यार लुटा रही थी जितना उसने शायद ही कभी लुटाया हो। रानी एक बहाने से रमेश को ज्यादा से ज्यादा शराब पिलाकर एकदम टुन्न कर देना चाहती थी और यही हुआ भी, रमेश पर जब शराब ज्यादा चढ़ गयी तो वह बेसुध होकर सो गया। मोहल्ले में जब चारो तरफ सोता पड़ गया तब छिपता-छिपाता नरेन्द्र साढ़े ग्यारह बजे रात रानी के घर पहुॅच गया, रानी नरेन्द्र का ही इंतजार कर रही थी नरेन्द्र भी पूरी तैयारी के साथ पहुॅचा था। नशे में अचेत रमेश की गर्दन पर नरेन्द्र ने चापड़ का एक भरपूर वार किया और एकही झटके में रमेश की गर्दन एक ओर लुढ़क गई, अपनी तसल्ली के लिए उसके सीने में भी दो-तीन घातक वार किये और जब उसे लगा कि रमेश मर चुका है तब उसकी लाश को खून से सने उसी चादर में कसकर बांध दिया, चादर के उपर से एक पतली सी दरी को भी लपेट कर बिल्कुल गठरी का आकार दे दिया। इतना करने के बाद नरेन्द्र थोड़ी देर के लिए घर से बाहर निकल गया और फिर घर से थोड़ी दूर अंधेरे में खड़ी मोटर साइकिल जी सी-4 केए - 6579 बिना स्टार्ट किये दरवाजे तक ले आया और गठरी को एक बोरे में भरकर मोटर साइकिल के कैरियर में कसकर बांध दिया। इसके बाद रानी भी अपने घर से बाहर निकली और दरवाजे पर ताला लगाकर अंधेरे में ही थोड़ी दूर तक रमेश के साथ-साथ आगे बढ़ी। थोड़ा आगे जाने के बाद नरेन्द्र ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और रानी को पीछे बिठाया। नरेन्द्र की मोटर साइकिल बलौदा बाजार होते हुए बंगोली गांव पहुॅची, वहीं एक नहर के पास मोटर साइकिल रोककर मोटर साइकिल में बंधे बोरे को खोलकर नहर की ओर ढकेल दिया, बोरे को ठिकाने लगाने के बाद दोनों वापस आकर अपने-अपने घरों में चले गये. अगले दिन 01 सितम्बर को रानी शान्त बैठी रही दूसरे दिन अपनी ससुराल पहुॅचकर सास-श्वसुर के साथ देवर को यह जानकारी दी कि 31 अगस्त की रात से रमेश घर वापस नहीं आये है, उसने कई जगह पता भी किया लेकिन कहीं से कोई पता नहीं चला। ससुराल वालों से विचार-विमर्श कर रानी 02 सितम्बर को अपने देवर रामेश्वर को साथ लेकर खमतरई थाना पहुॅच गयी और वहाॅ अपने पति रमेश की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराकर पति के हुलिये की भी जानकारी दे दी थी।
छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 37 किलोमीटर दूर खरोरा थाना के नये थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा ने तीन दिन पहले ही थाने का चार्ज सम्भाला था और अभी पूरी तरह से अपने इलाके से परिचित भी नहीं हो पाये थे कि उनके सामने ब्लाइंड मर्डर का एक मामला सामने आ गया। थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा तैयार हो कार्यालय में आकर बैठे ही थे तभी फोन की घंटी घनघना उठी रिसीवर उठाकर कान से लगाकर कुछ बोलते इससे पूर्व उधर से किसी का घबराया हुआ स्वर सुनाई पड़ा, ‘‘हलो! आप खरोरा थाने से बोल रहे है............ ’’
आरोपी हत्यारा नरेन्द्र वर्मा
‘‘जी हाॅ! मैं थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा बोल रहा हूॅ, आप कौन ?’’ थाना प्रभारी का इतना बोलना था कि फोन करने वाला पुनः बोल उठा, ‘‘नमस्ते साहब! मैं मण्डी समिति का सदस्य भागवत नायक बोल रहा हूॅ, यहाॅ बंगोली नहर के पास एक लावारिश बोरा पड़ा हुआ है। जिससे तेज बदबू आ रही है.......’’ फोन करने वाला आगे कोई और जानकारी देने के बजाय सीधे फोन ही काट दिया। थाना प्रभारी समझ गये कि पुलिस के पचड़े में पड़ने से बचने के लिए ही उसने मतलब की सूचना देकर फोन को काट दिया। लेकिन फोन करने वाला जितना कुछ बोला था उससे अनुभवी थाना प्रभारी ने अंदाजा लगा लिया कि मामला क्या हो सकता है। मामले की गम्भीरता समझते ही उनका मन खिन्न हो उठा, लेकिन पुलिस की जो ड्यूटी होती है उसे तो पूरा करना ही था। थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा अपने सहायक सब इंस्पेक्टर आई0बी0 सिंह को बुलाकर आदेश दिया, ‘‘आपको हमारे साथ बंगोली नहर चलना है वहाॅ एक लावारिश बोरा पड़े होने की सूचना मिली है, साथ में दो सिपाहियों को भी ले लों। ड्राइवर से बोलें गाड़ी बाहर निकाले।’’
थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा दल-बल के साथ बंगोली नहर के समीप पहुॅचे तो उन्हें बोरा पड़ा होने वाली जगह को तलाशना नहीं पड़ा क्योंकि नहर के समीप एक जगह सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा थी। थाना प्रभारी श्री बड़ा समझ गये कि बोरा भी वहीं पड़ा है। पुलिस दल को आया देख भीड़ थोड़ा अगल-बगल हट गयी। थाना  प्रभारी श्री बड़ा बोरे के नजदीक पहुॅचे ही थे तेज बदबू की गंध उनकी नाक में जैसे ही प्रवेश किया उन्हें उबकाई सी महसूस हुई। अपनी जेब से रूमाल निकालकर नाक पर लगाया और थोड़ी दूर खड़े एक ग्रामीण मजदूर से बोरे को खोलने को कहा। थाना प्रभारी के आदेश पर डरता हुआ वह ग्रामीण बोरे के पास पहुॅच उसका मुंह खोलकर उसके अन्दर जो कुछ ठूसा हुआ था उसे बाहर कर दिया। बोरे के अन्दर से पतली सी दरी और एक चादर में लपेटकर गठरी के आकार में कसकर बांधी गयी एक लाश बरामद हुई। लाश देखने से सात-आठ दिन पुरानी प्रतीत हुई, थाना प्रभारी श्री बड़ा ने आस-पास खड़ी भीड़ से लाश को पहचानने के लिए कहा तो सभी ने एक सिरे से लाश को पहचानने से इन्कार कर दिया। थाना प्रभारी ने अनुमान लगा लिया कि इस युवक की हत्या कहीं अन्यत्र करने के बाद लाश को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से यहाॅ लाकर फंेक दिया गया है लाश की शिनाख्त न होने के कारण नियमानुसार पुलिस फोटोग्राफर को बुलाकर लाश के विभिन्न कोणों से कई फोटो खिंचवा लिया। जाॅच पड़ताल के दौरान थाना प्रभारी ने गौर किया कि मृतक के दायंे हाथ पर गोदने से हनुमान गुदा हुआ है। जांच की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण सूत्र था, लेकिन इसके बावजूद घटनास्थल पर मौजूद भीड़ में से किसी ने उसे नहीं पहचाना। घटनास्थल की समस्त औपचारिकाताएं पूरी कर लाश को सील मोहर करवा कर जिला मुख्यालय स्थित पोस्टमार्टम हाउस भिजवाकर थाने लौट आये और लावारिश लाश पाये जाने की सूचना दर्ज कर जाॅच पड़ताल में जूट गये।
लावारिश लाश के पाये जाने की सूचना थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ए0एस0पी0 डा0 लाल उमेद सिंह को देने के साथ क्राइम ब्रांच के प्रभारी रमाकान्त साहू को भी दे दिया। ऐसे मामलों में जांच को आगे बढ़ाने के लिए लाश की शिनाख्त होना जरूरी होता है, लाश की शिनाख्त के लिए थाना प्रभारी श्री बड़ा ने आस-पास के थानों से यह जानने का प्रयास किया कि पिछले एक हफ्ते के दौरान उनके थाना क्षेत्र में किसी की गुमशुदगी या लापता होने (मिसिंग) की कोई सूचना तो दर्ज नहीं है। थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा को खमतराई थाने से जानकारी मिली कि 02 सितम्बर को उनके थाने में उरकुरा इलाके की रानी वर्मा नाम की एक महिला अपने पति रमेश वर्मा की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करायी है। खमतराई थाने ने गुमशुदा रमेश का जो हुलिया बताया था वह बोरे में मिली लाश से काफी मेल खा रहा था, इसके अलावा जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी वह यह कि उस महिला ने पुलिस को यह भी जानकारी दी थी कि उसके लापता पति के दाहिने हाथ में गुदने से हनुमान की तस्वीर बनी है। थाना प्रभारी श्री बड़ा के लिए यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण था, बिना समय गंवाये थाना प्रभारी अपने सहयोगी सब इंस्पेक्टर आई0बी0 सिंह को खमतराई थाने भेजा, थाने से रानी वर्मा का नाम-पता लेकर उसके घर पहुॅचे और उन्हें बंगोली नहर में पायी गयी लावारिश लाश मिलने की सूचना देकर उसके शिनाख्त की बात कही तब रानी अपने देवर रामेश्वर वर्मा को साथ लेकर सब इंस्पेक्टर श्री सिंह के साथ चल दी। सब इंस्पेक्टर श्री सिंह रानी और उसके देवर रामेश्वर को साथ लेकर सीधे पोस्टमार्टम हाउस पहुॅचे, उस समय थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा भी वहाॅ मौजूद थे। महिला के साथ एक पुरूष को देखकर बोले, ‘‘देखिए हमें एक लावारिश लाश मिली है अनुमान के मुताबिक उसकी हत्या एक हफ्ते पूर्व की गयी होगी, लाश जहाॅ पायी गयी वहाॅ उसे किसी ने नहीं पहचाना। आप हिम्मत से काम ले और उस लाश को देखकर हमें इतना बतायें कि कहीं यह लाश आपके गुमशुदा पति रमेश की तो नहीं है....’’
थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा
थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा के इशारे पर एक सिपाही रानी वर्मा को उस जगह ले गया जहाॅ लाश रखी हुई थी। लाश पर पड़े कपड़े को हटा दिया गया। कुछ क्षण लाश को गौर से देखने के बाद रानी वर्मा ने बताया यह लाश उसके पति की नहीं है। थाना प्रभारी को लगा जैसे उनकी सारी उम्मीदों पर किसी ने घड़ो पानी गिरा दिया हो, पर वह निराश नहीं हुए और रानी के चेहरे पर नजर गड़ाये हुए पूछा, ‘‘मैडम जहाॅ तक हमें जानकारी मिली है जब आप अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने थाने गयी थी तब आपने पहचान के रूप में पुलिस को बताया था कि आपके पति के दाहिने हाथ में गोदने से हनुमान की तस्वीर है और इस लाश के दाहिने हाथ पर भी उसी प्रकार हनुमान गुदे हुए है।’’
‘‘फिर भी दरोगा जी यह मेरे पति की लाश नहीं है, क्योंकि मेरे पति के हाथ पर हनुमान की जो तस्वीर है उसमें हनुमान जी के एक हाथ में झण्डा है लेकिन इस लाश के हाथ में हनुमान की जो तस्वीर गुदी है उसने हाथ में पहाड़ को उठा रखा है। इसलिए यह मेरे पति की लाश नहीं हो सकती।’’
रानी जब अपनी बात कह रही थी उस समय उसके चेहरे के एक-एक भाव को थाना प्रभारी बड़े ध्यान से न सिर्फ देख रहे थे बल्कि उसे पढ़ने का भी प्रयास किया। चेहरे के भाव से उन्हें समझते देर नहीं लगा कि महिला कुछ छिपा रही है, इसके बावजूद थाना प्रभारी श्री बड़ा रानी के देवर रामेश्वर वर्मा की ओर देखते हुए बोले, ‘‘तुम्हारी भाभी का कहना है लाश उनके पति की नहीं है, मैं चाहता हूॅ एक बार तुम भी ध्यान से देख लो कहींे यह तुम्हारा गुमशुदा भाई रमेश ही न हो...’’
‘‘दारोगा जी जब मैं आपसे कह रही हूॅ यह मेरे पति की लाश नहीं है तब यह क्या पहचानेगा ? भला कोई पत्नी अपने पति को पहचानने में भूल कर सकती है।’’ रानी का इस प्रकार बीच में बोलना थाना प्रभारी श्री बड़ा को अटपटा सा लगा जो उनके संदेह को और मजबूत बना रहा था फिर भी अपने भावों को दबाते हुए बोले, ‘‘रामेश्वर अगर एक बार लाश को देख लेता है तो इसमें हर्ज ही क्या है कम से कम यह भी आश्वस्त हो जायेगा और हमें भी सन्तोष.......’’ थाना प्रभारी की बात सुनकर रामेश्वर वर्मा एक बार अपनी भाभी रानी वर्मा के चेहरे की तरफ देखा फिर दबे मन से जाकर लाश को भी देखा, लाश देखकर रामेश्वर ने अपनी भाभी की ही बात का समर्थन किया। अब थाना प्रभारी श्री बड़ा के पास पूछने के लिए कुछ नहीं बचा था, लेकिन इस बीच उनकी अनुभवी नजरों ने यह भली-भाॅति ताड़ लिया कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है और वह सच्चाई का पता लगाकर रहेंगे। अपने मन में उमड़-घुमड़ रहे सवालों को मन में ही दबाये थाना प्रभारी श्री बड़ा ने रानी से कहा, ‘‘आप लोगों को नाहक ही परेशान किया, पर क्या करें पुलिस वालों का काम ही  कुछ ऐसा होता है...... आप यहाॅ तक आयी और हमारी मदद की इसके लिए आपको धन्यवाद! अब आप आराम से अपने घर जा सकती है।’’
थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा रानी वर्मा और उसके देवर रामेश्वर वर्मा को घर वापस जाने का आदेश तो दे दिया लेकिन एक सिपाही के अलावा अपने एक विश्वासपात्र मुखबिर को रानी पर नजर रखने के साथ उसके चाल-चलन और चरित्र के बारे में सभी आवश्यक जानकारी जुटाने का आदेश भी दे दिया। रानी के जाते ही थाना प्रभारी अपने सहयोगी सब इंस्पेक्टर श्री सिंह को एक बार फिर से आदेश दिया कि अभी के अभी उस फैक्ट्री में जाओ जहाॅ रानी वर्मा का पति रमेश काम किया करता है वहाॅ से पता लगाओं कि वह काम पर आ रहा है या नहीं और यदि अनुपस्थित है तो कितने दिनों से, इसके अलावा उसके साथ काम करने वाले दो तीन खास लोगों को लाश की शिनाख्त के लिए यहाॅ ले आओं। थाना प्रभारी का आदेश पाते ही एस0 आई0 श्री सिंह आधे घण्टे के भीतर बिरगांव स्थित आलोक इण्डस्ट्रीज पहुॅच गये जहाॅ रानी का पति काम करता था। पूछताछ के दौरान पता चला कि पिछले आठ दिनों से रमेश काम पर नहीं आ रहा है और उसकी कोई जानकारी भी नहीं है कि वह काम पर क्यों नहीं आ रहा है। श्री सिंह रमेश के साथ के काम करने वाले तीन साथियों को साथ लेकर लाश की शिनाख्त कराने पहुॅचे तो लाश को देखते ही उन तीनों ने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि यह लाश उनके साथ काम करने वाले रमेश वर्मा की ही है। थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा को तो उसी समय संदेह हो गया था कि रमेश की पत्नी जान-बूझकर कुछ छिपा रही है, लेकिन सच्चाई छुपाने के पीछे रानी का असली मकसद क्या था यह पता नहीं चल सका था और इसी का पता लगाने के लिए उन्होंने रानी से ज्यादा सवाल-जवाब न करके उसे घर वापस भेज दिया था ताकि रानी को कोइ शक न हो और वह उनकी जाॅच पड़ताल से बेफिक्र हो जाय।
सब इंस्पेक्टर आर0बी0 सिंह
थाना प्रभारी के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि जब यह लाश रमेश वर्मा की ही है तब उसकी पत्नी ने अपने पति की लाश को ही पहचानने से इन्कार क्यों किया ? साथ ही रमेश की हत्या किन हालात में कब-कैसे और कहाॅ हुई तथा हत्या में कौन-कौन शामिल है यह भी पता लगाना जरूरी था। रमेश की हत्या के रहस्य पर पड़े परदे को हटाने के लिए थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा ने एक चाल चली और एक बार फिर से कुछ पूछताछ के बहाने रानी वर्मा को अपने थाने बुलवा लिया। थाना प्रभारी ने रानी से सवाल किया, ‘‘दरअसल मैंने आपको दोबारा इसलिए बुलवाया है कि आपके जाने के बाद हमने आपके पति के साथ काम करने वाले लोगों को बुलाकर लाश दिखाई तो उन्होंने हमें बताया कि लाश उनके साथ काम कमने वाले रमेश वर्मा की ही है और आप कह रही है कि लाश आपके पति की नहीं है। अब आप हमें यह बताये कि पुलिस क्या करें आपकी बात को सच माने या आपके पति के साथ काम करने वाले की बात को....’’
‘‘देखिए मैं एक पत्नी हूॅ अपने पति को जितना मैं पहचान सकती हूॅ, उतना दूसरा नहीं पहचान सकता.... जब मैंने आपसे बोल दिया कि वह लाश मेरे पति की नही है तब भी आप उसे जबरदस्ती मेरे पति की लाश सिद्ध करने पर क्यों उतारू है।’’ रानी जिस आत्म विश्वास से अपनी बात कह रही थी थाना प्रभारी एकटक उसके चेहरे को ही देख रहे थे। एक बार थाना प्रभारी को लगा हो न हो रानी का कथन सही हो लेकिन रमेश के साथ काम करने वाले भला झूठ क्यों बोलेंगे, जबकि हाथ में गुदे हनुमान की आकृति को उन सबों ने भी ध्यान से देखा था और उसी के बाद लाश को रमेश का बताया था। अचानक थाना प्रभारी ने सवालों का रूख बदलते हुए बोले, ‘‘खैर आप शिनाख्त वाली इस बात को किनारे करें और हमें यह बतायें पति की गुमशुदगी के बाद किसी प्रकार का कोई फोन आदि आपके या आपके ससुराल में किसी के पास आया था ? मतलब किसी ने फिरौती आदि की कोई मांग की हो या फिर आपके पति का किसी से कोई लड़ाई-झगड़ा हुआ हो, ऐसा कोई दुश्मन ?’’ दरअसल सवालों के जरिये थाना प्रभारी श्री बड़ा रानी वर्मा को थोड़ी देर बातों में उलझाकर अपने पूर्व नियोजित असली मकसद को साधना चाह रहे थे. थाना प्रभारी के प्रश्न के उत्तर में रानी ने कहा, ‘‘ जहाॅ तक मुझे पता है पति की गुमशुदगी के बाद इस प्रकार का कोई फोन नहीं आया. झगड़े की बात करें तो मेरे जेहन में ऐसा कोई नाम नहीं है जो आपको बता सकूॅ....’’ थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा आगे कुछ और पूछते इसी बीच थाने का एक सिपाही कुछ घबराया हुआ उनके समझ पहुॅचकर सैल्यूट करते हुए बोला, ‘‘साहब! इस महिला से पूछताछ बाद में कर लीजिएगा अभी आप तुरन्त मेन बाजार चलें वहाॅ किसी ने उरकूरा निवासी 22 साल के नरेन्द्र वर्मा की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी.... जल्दी चलें!.’’
‘‘क्या कहा सिपाही जी, आपने! उरकूरा के नरेन्द्र को गोली मार दी गयी... किसने मारी.’’ रानी वर्मा अचानक चैंकते हुए बोल उठी। आगन्तुक सिपाही से थाना प्रभारी श्री बड़ा कुछ पूछते इससे पहले जिस अप्रत्याशित तरीके से रानी बीच में ही बोल उठी थी वह किसी आश्चर्य से कम नहीं था. थाना प्रभारी श्री बड़ा शुरू से ही रानी के चेहरे पर नजर गड़ाये हुए थे, उन्होंने साफ महसूस किया कि नरेन्द्र को गोली मारे जाने की बात सुनते ही रानी के चेहरे का भाव किस तरह बदल गया था। बुझा-बुझा सा रंग उड़ा उसका चेहरा साफ चुगली कर रहा था जैसे रानी का कोई बहुमूल्य खजाना लुट गया हो या फिर उसकी कोई कीमती वस्तु किसी ने जबरदस्ती छीन ली हो। रानी के चेहरे के बदले रंग को देखते हुए थाना प्रभारी श्री बड़ा बोल उठे, ‘‘मैडम जितना आप अपने पति की गुमशुदगी को लेकर परेशान और चिन्ता में नहीं पड़ी, मैं देख रहा हूॅ उससे कहीं अधिक आप नरेन्द्र वर्मा की हत्या की बात सुनकर बेचैन हो उठी है। क्या आप नरेन्द्र को जानती है ? और उससे आपका रिश्ता क्या है ?’’
‘‘नरेन्द्र हमारे मोहल्ले का रहने वाला है और दूर के रिश्ते में हमारा भांजा लगता है। वह यदा-कदा मेरे घर भी आया-जाया करता था, मेरे पति से उसकी अच्छी-खासी दोस्ती थी...’’ रानी को लगा उसने कुछ ज्यादा ही हड़बड़ी दिखा दी अब अपनी गलती को समझकर संयत होती हुई संक्षिप्त उत्तर देकर चुप हो गई। लेकिन थाना प्रभारी श्री बड़ा चुप नहीं हुए वह पुनः बोल उठे, ‘‘सिर्फ आपके पति से ही दोस्ती थी और आपसे कुछ नहीं था...’’
‘‘आप कहना क्या चाहते है, दरोगा जी! मुझे वह मामी कहता था और मैं भी उसे अपने भांजे के समान मानती थी, इससे ज्यादा उससे मेरा कोई रिश्ता नहीं था।’’ रानी वर्मा थाना प्रभारी श्री बड़ा के सवालों का जवाब तो दे रही थी लेकिन उनके चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वह थाना प्रभारी के सवालों से बचना चाह रही हो। थाना प्रभारी श्री बड़ा अपना आखिरी सवाल दागते हुए बोले, ‘‘लेकिन शुरूआत में आप जिस प्रकार चैंकी थी उससे यही लगता है नरेन्द्र वर्मा आपके लिये बहुत ही खास और महत्वपूर्ण सख्श था। वैसे मैडम आपकी जानकारी के लिए बता दे नरेन्द्र वर्मा की हत्या नहीं हुई है और वह बिल्कुल ठीक-ठाक है. आप पुलिस को बेवकूफ न समझे, पहली बार में ही मुझे आप पर शक हो गया था जब आपने कहा था मेरे पति के हाथ में गुदने वाले हनुमान के एक हाथ में झण्डा था। आपको भी पता है सभी मन्दिरों और तस्वीरों में हनुमान हमेशा एक हाथ में पहाड़ को उठाये हुए ही दिखायी देेेेेेेते है लेकिन झण्डे वाली बात कहकर आप खुद को संदेह के दायरे में ले आयी।’’ थाना प्रभारी की बात सुनते ही रानी का चेहरा फक् पड़ गया, गर्दन नीची कर नजर झुकाकर बोली, ‘‘जो सच था वही बोला था, क्या हनुमान के हाथ में झण्डा नहीं हो सकता ?’’
‘‘होने को तो बहुत कुछ हो सकता है मैडम! अब आप भी देख ले कि क्या-क्या हो सकता है।’’ अपनी बात पूरी कर थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा थाने में पहले से मौजूद दो महिला सिपाहियों की ओर देखते हुए बोले, ‘‘आप लोग मैडम को विशेष अतिथि कक्ष में ले जाये और इनकी खूब अच्छी तरीके से खतिरदारी करें! इनकी खतिरदारी में कोई कमी मत रखना पेट भर जाना चाहिए....’’ थाना प्रभारी का मतलब समझते ही दोनों महिला कांस्टेबल अनीता व उषा जैसे ही रानी वर्मा का हाथ पकड़कर ले जाने लगी वह कातर स्वर में बोल उठी, ‘‘मुझे कहीं नहीं जाना, प्लीज मुझे घर जाने दीजिए दारोगा जी.....’’
‘‘इतनी जल्दी क्या है मैडम, पुलिस वालों को भी कुछ सेवा करने का अवसर दें.... सुनों मैडम की जरा अच्छे से खातिर करना।’’ थाना प्रभारी श्री बड़ा का इतना कहना ही काफी था  दोनों महिला सिपाही रानी को बेमुरौव्वत घसीटते हुए बगल के कमरे में ले जाकर पुलिसिया खातेदारी शुरू ही किया था कि रानी चिल्लाने लगी, ‘‘मुझे छोड़ दो.... मैं सब कुछ बता दूॅगी!’’
इसके बाद थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी पिछले एक हफ्ते से रानी के सीने में दबा राज न सिर्फ बाहर आ गया बल्कि रानी वर्मा ने यह भी स्वीकार कर लिया कि 10 सितम्बर को बंगोली नहर में मिली लावारिश लाश उसके पति रमेश वर्मा की ही थी। रानी के बयान के आधार पर नरेन्द्र को गिरफ्तार करने में पुलिस को कोई मुश्किल नहीं आयी दरअसल थाना प्रभारी श्री बड़ा अपने मुखबीरों की मदद से ताबड़तोड़ रानी की जनम-कुण्डली पहले ही खंगाल चुके थे और रानी का सारा अतीत भी मालूम कर लिया था। रानी के बारे में मुखबीर ने जो जानकारी दी थी उससे साफ हो गया था कि रानी के पति रमेश के अचानक लापता होने के पीछे उसकी पत्नी का ही हाथ है। लेकिन हत्या किसके सहयोग से या किसने अंजाम दिया इस सच्चाई का पता लगाना जरूरी हो गया था और अब तो सब कुछ साफ हो गया था। थाना प्रभारी का नरेन्द्र की मौत की झूठी कहानी महज एक नाटक था दरअसल वह रानी के चेहरे के भाव को पढ़ना चाहते थे कि नरेन्द्र की मौत का समाचार सुनकर उसकी प्रतिक्रिया क्या होती है, जिसमें उन्हें पूरी सफलता भी मिली।
पुलिस द्वारा रानी वर्मा उसके प्रेमी नरेन्द्र और मृतक रमेश के पड़ोसियों से हुई व्यापक पूछताछ के बाद एक पत्नी द्वारा अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को ही मौत के घाट उतारने और उसकी लाश को हत्यास्थल से लगभग 37 किमी दूर ले जाकर ठिकाने लगाने की जो कहानी सामने आयी वह इस प्रकार बतायी जाती है --
कहते है इंसान कितना ही छुपकर कोई अपराध क्यों न करें लेकिन पुलिस अगर चाह लें तो वह अपराधियों को बेनकाब कर सकती है, बशर्ते कोई न कोई एक छोटा सा सूत्र पुलिस के हाथ लग जाये। यही इस मामले में भी हुआ, थाना प्रभारी आर0एल0 बड़ा रमेश हत्याकाण्ड में उसके हाथ में गुदने से बनी हनुमान की तस्वीर को ही आधार बनाकर सारा सच सामने ला दिया। रानी और नरेन्द्र दोनों ने अपने अपराध कबूल कर लिये, पुलिस ने भादवि की धारा 302, 201, 34 के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत कर चालान बनाकर दोनों को 13 सितम्बर 2012 को न्यायालय में प्रस्तुत किया जहाॅ से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। कथा लिखे जाने तक नरेन्द्र और रानी दोनों रायपुर के जिला जेल में बंद है।
(प्रस्तुत कथा पुलिस द्वारा दिये गये तथ्य, घटनास्थल से ली गयी जानकारी एवं मीडिया सूत्रों पर आधारित है।)
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